Darawni Kahaniya
पिछली कहानी में आपने Bhoot Story और भूतिया घर की रोंगटे खड़े कर देने वाली सच्ची घटना के बारे में पढ़ा
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ये कहानी उन दिनों की हैं जब गाँव में शोचालय नहीं होते थे, अब तो नरेन्द्र मोदी जी ने गाँव-गाँव में शोचालय बनवा दिए हैं, लेकिन पहले शोचालय नहीं थे.
गाँव में रहने वाले लोगों को शोच के लिए खेतों में जाना पड़ता था
पिंकी रोज अपनी माँ के साथ सुबह उठकर शोच के लिए जाती थी.
एक रात की बात है पिंकी की अचानक आँख खुली पिंकी ने देखा की माँ बिस्तर पर नहीं है, पिंकी ने समझा की माँ शोच के लिए जंगल चली गई है.
वह उठी और खुद भी जंगल की ओर चल पड़ी उसने सीढियों से उतरते हुए घडी में समय देखा तो घडी में 5 बज रहे थे, घडी को देखते हुए पिंकी कमरे से बाहर निकल गई.
पिंकी रास्ते में बडबडाते हुए, ”आज माँ मुझे जगाकर नहीं ले गई लेकिन माँ ज्यादा दूर नहीं पहुंची होगी रास्ते में मिल जाएँगी.
जब पिंकी जंगल में उस जगह पहुंची जहां वह रोज अपनी माँ के साथ जाती थी, तो वहाँ उसे कोई नहीं दिखा सिवाए ख़ामोशी और डरा देने वाली आवाजों के अलावा जो पास से ही आ रहीं थीं, वैसे तो ये आवाजें रोज ही आतीं थी, लेकिन माँ उससे हमेसा कहती इन आवाजों से डरना नहीं, सियार को एक जोर से पत्थर फेंक के मारो तो ये भाग जाते हैं.
लेकिन आज पिंकी उन आवाजो को सुनकर डर रही थी, डर के मारे पिंकी की सांस रुक-रूककर आ रही थी, पिंकी अब जैसे ही घर जाने के लिए मुड़ी उसने खेत में थोड़ी दूर किसी को देखा जिसने सफ़ेद कपडे पहने थे.
देखने से लग रहा था मानो कोई औरत हो, उसने दूर से ही उस सफ़ेद कपड़ों वाली औरत को आवाज दी, ‘’माँ ‘’माँ लेकिन उधर से कोई जबाब नहीं आया, पिंकी खेत में थोड़ी और आगे उस औरत की तरफ बढ़ी और फिर आवाज दी, ‘’माँ ‘’माँ आप हैं क्या वहाँ में आपसे बहुत गुस्सा हूँ, आज आप मुझे अपने साथ लेकर नहीं आयीं.
पिंकी के इतना कहने के बाद भी वहाँ से कोई जबाब नहीं आया, पिंकी को बस उसकी चूड़ियों की आवाज आ रही थी, वह माँ का आभाश उनकी चूड़ियों से कर लेती थी, लेकिन अब जिन चूड़ियों की आवाज उसके कानों में जा रही थी, वह उसकी माँ की चूड़ियों की आवाज नहीं थी.
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ना तो उधर से कोई आवाज आ रही थी ना ही वह आवाज उसकी माँ की चूड़ियों की थी यह सोचकर पिंकी घर वापस जाने लगी जैसे ही वह खेत से बाहर निकली वह साया उसे उसकी तरफ बढ़ता दिखा.
यह देख तो जैसे उसकी हालत ही खराब हो गयी, अब वह घर की तरफ भागने लगी भागते भागते उसने पीछे मुड़कर देखा तो वह साया अब भी उसका पीछा कर रहा था , जैसे तैसे पिंकी अपने आप को संभालते हुए घर पहुंची.
माँ ने देखा ये लड़की ऐसे भागते हुए क्यूँ आ रही है, पिंकी से माँ ने कहा क्या बात है बेटा ऐसे क्यूँ भाग रही हो, तब पिंकी ने हाँफते हुए कहा, ‘’माँ वो औरत वो औरत’’ कौन औरत बेटा क्या हुआ ? आओ बेठो पहले सांस लो तब आराम से बताना क्या बात है .
थोड़ी देर साँस लेने के बाद पानी पीकर पिंकी ने माँ को बताया माँ आप आज जंगल नहीं गयी माँ ने कहा नहीं और तुम कहाँ गयीं थीं, पिंकी ने कहा में जंगल गई थी.
माँ ने कहा, ‘’अकेले ?
पिंकी ने कहा, ‘’नहीं माँ मैंने सोचा आप आज जल्दी चली गयी थीं जंगल, इसलिए आपके पीछे-पीछे में भी चली गयी मुझे नहीं पता था की आप आज गयीं ही नहीं, और मेने घडी में भी समय देखा था 5 बज रहे थे, तो उस समय जाने में मुझे कोई डर नहीं लगा.
इसपर माँ ने कहा, ‘’लेकिन बेटा घडी तो कल शाम के 5 बजे से बंद पड़ी है.
अब तो पिंकी के पैरों तले जमीन निकल गयी अब वह समझ चुकी थी, की मैंने जो सफ़ेद कपड़ों में औरत देखि वो कोई इंसान नहीं थी.
माँ ने पूंछा भी की क्या हुआ तूने बताया नहीं, तब पिंकी राहत की साँस लेकर चुप हो गयी, और माँ से बोली कोई बात नहीं माँ में बस थोड़ा डर गयी थी और कुछ नहीं आजतक पिंकी उस हादसे को भूल नहीं पाई, और शायद ना कभी भूल पायेगी.
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Boht accha tha..
Thanks