Horror Story In Hindi
मेरा नाम राशी है में मेरठ की रहने वाली हूँ, ये कहानी मेरी छोटी बहन स्वेता की है में एक गरीब परिवार से हूँ गरीबी के कारण ज्यादा पढाई भी नहीं कर पाई, में एक कम्पनी में जॉब करती हूँ.
घर के हालात को देखते हुए स्वेता ने भी काम करने के लिए कहा जिस कम्पनी में, मैं काम करती हूँ वहां अभी कोई वेकन्सी खाली नहीं थी.
एक दिन पड़ोस वाली आंटी ने कहा” स्वेता तू कल मेरे साथ चलना मेरी कम्पनी में अभी जगह खाली है.
स्वेता ने कहा ठीक है आंटी कल में आपके साथ चलूंगी, दूसरे दिन स्वेता और आंटी कम्पनी जाने के लिए घर से निकल गए दोनों पैदल वाले रास्ते से जा रहीं थीं.
वहीँ रास्ते में रेलवे क्रॉसिंग भी पड़ता था ये तो सभी जानते हैं की रेलवे क्रॉसिंग पर आये दिन कोई ना कोई दुर्घटना होती ही रहतीं हैं.
”स्वेता शाम को घर आ गई मेने पूंछा जॉब मिल गई क्या? तो उसने ”जबाब ” में कहा दीदी मुझे काम पसंद नहीं आया.
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मेने कहा कोई बात नहीं अगर काम पसंद नहीं आया तो रहने दो कोई दबाब नहीं है तुम्हारे ऊपर अच्छा काम मिले तो कर लेना।
फिर हम दोनों बहनें सो गए रात को स्वेता की तबियत, अचानक से ख़राब हो गई उसका शरीर बुखार से तप रहा था.
मेने टोर्च ढूंढी और उसके लिए दूसरे कमरे से दवाई लेके आई और उसे जगाने लगी वो उठते ही बहुत जोरों से रोने लगी.
मैंने पूंछा क्या बात है ”दर्द हो रहा है क्या” तो उसने कोई, जबाब नहीं दिया बस रोती ही रही, मेने फिर ”पूँछा” क्या हुआ तुझे अब भी उसने कोई जबाब नहीं दिया लगातार रोये ही जा रही थी.
अब मुझे चिंता होने लगी की ना ये कुछ बोल रही है और ना दवाई ले रही है, बस रोये ही जा रही है आखिर इसको ऐसी क्या परेशानी है.
”जैसे तैसे वो रात गुजर गई सुबह हुई मम्मी चाय लेकर हमारे कमरे में आईं, तो में उनको सोती दिखी मम्मी ने मुझे जगाया और कहा आज जॉब पर नहीं जाना.
इतनी लेट तक सो रही है? मैंने कहा आज में जॉब पर नहीं जा रही स्वेता को डॉक्टर के पास लेके चलेंगे, ये रात बहुत रो रही थी इसका शरीर भी बुखार से तप रहा था मम्मी ने कहा ठीक है तुम नास्ता कर लो फिर हम डॉक्टर के पास चलेंगे।
नास्ता करने के बाद में और मम्मी डॉक्टर के यहां जाने के लिए तैयार हो गए में स्वेता के कमरे में गई और उसे तैयार होने के लिए कहा, पहले तो वो मेरी तरफ अजीब नजरों से देखने लगी फिर एकदम से रोने लगी.
मैंने कहा क्या हुआ रो क्यूँ रही है मेरे इतना कहते ही वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी और हँसते-हँसते बेहोश हो गई.
हमने डॉक्टर को बुलाया तो डॉक्टर ने कहा बुखार ज्यादा तेज़ होने की वजह से, ये ऐसी हरकतें कर रही है.
में इंजेक्शन दे देता हूँ और कुछ दवाइयां दे देता हूँ, 1-2 दिन में ये पूरी तरह ठीक हो जाएगी इतना कहकर डॉक्टर वहां से चला गया डॉक्टर के जाते ही हमारे घर में, लोगों की भीड़ जमा हो गई.
स्वेता सोइ हुई थी मैंने उसको दवाई देने के लिए उठाया , जैसे ही वो उठी और उठके फिरसे वही हरकतें करने लगी कभी हंसने तो कभी रोने लगी.
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उस भीड़ से एक औरत निकल कर आई और उसने कहा मुझे ये बिमारी नहीं लग रही, मम्मी ने कहा आपके कहने का मतलब क्या है?
तो वो औरत बोली – अगर साफ़ शब्दों में कहूं तो आपकी बेटी के ऊपर किसी बुरी आत्मां का साया है.
मम्मी ने कहा आप ये कैसे कह सकतीं हैं तो उन्होंने बताया 3-4 साल पहले मेरे भाई की बेटी भी बिलकुल आपकी स्वेता की तरह ही हरकतें करती थी.
हमने उसे बहुत डॉक्टरों को दिखाया था लेकिन उसे कोई आराम नहीं आया था, फिर हम उसको एक सिद्ध बाबा जी के पास लेकर गए थे तब जाकर वो ठीक हुई थी , और अब वो एकदम ठीक है.
मम्मी ने कहा आप इस युग में भी इन भूत- प्रेत जैसी बातों पर विश्वाश करतीं हैं, ये सरासर अन्धविश्वास है और कुछ नहीं, तो उस औरत ने कहा देखिये ये बात मेरे विश्वाश या अंधविस्वास की नहीं ये बात है आपकी स्वेता की ज़िंदगी की.
भगवान ना करे उसे कुछ हो जाये तो आप अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर पाएंगी, मैंने कहा मम्मी जो ये आंटी कह रहीं हैं, वहां स्वेता को दिखाने में हर्ज ही क्या है ?
तो मम्मी ने कहा राशि तू भी इनकी बातों पर विश्वास कर रही है मैंने कहा मम्मी बस हमारी स्वेता ठीक होनी चाहिए, चाहें हमें उसके लिए कहीं भी जाना हो जायेंगे जिसको दिखाना हो दिखाएंगे.
मम्मी ने मेरी बात मान ली और उस औरत से कहा आपके भाई की बेटी को आपने कहाँ दिखाया था आप हमें भी वहां ले चलिए।
उन आंटी ने कहा आप मेरे साथ चलो में आपको लेकर चलती हूँ, मैं मम्मी पापा और आंटी स्वेता को लेकर उस गांव में पहुंचे जहाँ वो बाबा रहते थे.
आंटी ने कहा बाबा मंदिर में रहते हैं और हम मंदिर की ओर चल दिए, रास्ते में चलते-चलते स्वेता एकदम से चिल्लाई ”मम्मी” और बेहोश होकर जमीन पर गिर गई.
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पापा स्वेता को गोद में उठाने लगे तो उसके शरीर में मानो उसके वजन से दोगुना वजन हो गया था, पापा उसको उठा ही नहीं पा रहे थे इतने में बाबाजी के भेजे हुए दो आदमी आये और वो स्वेता को उठाकर मंदिर में ले गए।
हम सब भी दौड़ कर मंदिर में पहुँच गए, अब स्वेता बाबाजी के सामने बेहोश लेटी हुई थी, बाबा ने स्वेता की नव्ज देखी और हमसे पूंछा क्या आपने बिटिया को 2 -3 दिन पहले कहीं बाहर भेजा था.
तो हमने बताया की और तो कहीं नहीं बस काम के सिलसिले में एक आंटी के साथ भेजा था, इसपर बाबा ने कहा परेशानी वहीँ से शुरू हुई है लेकिन आप चिंता ना करें बिटिया एकदम ठीक हो जाएगी.
और एक काला धागा दिया और कहा इसको बिटिया के गले में बांध देना और जब तक पूरी तरह ठीक ना हो जाये इसे गले से उतारना मत.
हमने वो धागा स्वेता के गले में बांध दिया, धागा बांधते ही वो होश में आ गई और कहने लगी की मुझे घर जाना है, फिर हम सब लोग घर आ गए.
अब जो में आपको बताने जा रही हूँ उसे सुनकर आप हैरान रह जायेंगे या यकीन ही नहीं करेंगे, हम लोगों में से कोई ना कोई स्वेता के पास रहता ज्यादातर में ही रहती थी अगर थोड़ी देर के लिए भी स्वेता के पास से उठ जाती, तो वो ज़ोर से चीखती चिल्लाती और बेहोश हो जाती.
जब हम उसके पास जाते तो उसके गले में धागा नहीं होता था, उस धागे को हम लोग ढूंढ़कर उसको पहनाते और उसे होश आ जाता था, कई दिनों तक धागा अपने आप ऐसे ही गले से निकल जाता.
एक दिन मैंने मम्मी से कहा- मम्मी स्वेता के गले का धागा रोज अपने आप निकल जाता है, क्यूँ ना इसमें और गांठें लगाकर इसे इतना छोटा कर दें, की फिर गले से निकल ही ना पाए.
मम्मी ने ऐसा ही किया धागे में बहुत सारी गांठें लगा दीं, अब हमें लगा की उसके गले से धागा नहीं निकलेगा, लेकिन हम सभी के होश उड़ गए जब हमने देखा की धागा फिर से गले में नहीं है.
एक बार के लिए तो हमें लगा की स्वेता ने ही गांठ खोलकर निकाला होगा, लेकिन जब धागे को ढूंढा तो देखा की गांठें तो वैसी की वैसी ही लगी हैं, जैसी मम्मी ने लगाईं थीं,
हम सोच में पड़ गए की बिना गाँठ खुले धागा गले से कैसे निकल सकता है, फिर ध्यान आया की बुरा साया तो कुछ भी कर सकता है.
जब हम स्वेता के पास होते तो वो कहती दो डरावनी शक्ल की औरतें सामने वाली छत्त पर बैठी रहतीं हैं और मुझसे कहतीं हैं हम तुझे छोड़ेंगे नहीं।
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हमने ये सारी बातें बाबाजी को बताईं उन्होंने कहा की जब उन बुरी शक्तियों ने मेरे दिए हुए धागे को बार-बार निकाला है, इसका मतलब है वो बहुत शक्तिशाली हैं.
और आपकी बेटी की जान को ख़तरा है , तो मम्मी ने कहा बाबा अब इसका क्या उपाय है, क्या हमारी स्वेता कभी ठीक नहीं होगी .
तब बाबा ने बताया की अब इसका एक ही इलाज है के अब बिटिया को बालाजी धाम लेकर जाया जाए जोकि भूत-प्रेत ग्रसित रोगियों के लिए ही जाना जाता है.
वहां पर कोई बाबा या कोई और इंसान प्रेत ग्रसित रोगी को नहीं देखता, स्वयं बालाजी ही भूत-प्रेत को मार-मारकर भगाते हैं.
बाबा के कहने पर हम स्वेता को बालाजी लेकर गए, वहां लम्बी-लम्बी कतारें लगी थीं, हम सब कतार में खड़े हो गए अचानक से ना जाने स्वेता को क्या हुआ.
वो मंदिर की तरफ दौड़ पड़ी उसके पीछे हम भी दौड़ने लगे जैसे हम उसके पीछे दौड़ रहे थे तभी रास्ते में हमें एक व्यक्ति मिला और उसने ”कहा” उसके पीछे आप लोग मत दौड़िये.
उसको प्रेत आत्माओं ने अपने कब्जे में किया हुआ है इसलिए वो ऐसे भाग रही है उसके अंदर बेठी आत्मा को श्री बालाजी मार मार कर भगायेंगे समझ लीजिये अब आपकी बेटी ठीक हो गई.
बालाजी जाने के बाद ही स्वेता ठीक हुई और अब वो एकदम ठीक है और एक बहुत ही अच्छी कम्पनी में उसे जॉब भी मिल गई है.
एक बार को तो मुझे ये लगा था की हमारी स्वेता अब कभी ठीक नहीं हो पायेगी लेकिन में ये भूल गई थी की इस दुनिया में हर समस्या का हल है.
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