Hindi Kahaniyan { छोटे बच्चों के लिए 3 मजेदार चटपटी कहानियां हिंदी में }

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जंगल में चारों ओर खूब शोर मच रहा था भालू चाचा ने रेस्टोरेंट खोला है, सब जानवर खुशियां मना रहे थे पक्षी चहचा रहे थे कोयल कूक रही थी कौवा कांव-कांव कर रहा था.

हाथी चिंघाड रहा था शेर दहाड़ रहा था बिल्ली म्याऊं म्याऊं कर रही थी खरगोश इधर-उधर कूद रहा था, जंगल में खूब चहल-पहल मची थी सभी खुश थे भालू चाचा के यहां सभी के लिए दावत थी.

लेकिन एक चूहा कोने में शांत बैठा था किसी का भी उसकी तरफ ध्यान नहीं गया, खरगोश की नजर उस पर पड़ी वह कूदकर उसके पास गया और बोला चूहे भाई आप इतने परेशान क्यों हैं?

चूहे ने कोई जवाब नहीं दिया और शांत बैठा रहा खरगोश फिर बोला- बताओ भाई हम सब तुम्हारे साथ हैं, चूहे ने कहा मैं गरीब हूं भालू चाचा की दुकान के उदघाटन पर खाली हाथ कैसे जा सकता हूं.

खरगोश ने कहा कि तुम परेशान मत हो हम सब तुम्हारी मदद करेंगे, मैं जंगल के प्रधान शेर भाई के पास जाकर तुम्हारे बारे में बात करूंगा, उनका खेती बाड़ी का काम है वह तुम्हें काम पर रख लेंगे काम करते हुए  तुम्हारा समय भी ठीक से कटने लगेगा, और तुम्हारी रुपए की भी मदद हो जाएगी.

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उधर चींटी गुस्से से आगबबूला हो रही थी भालू चाचा ने उसे न्यौता नहीं भेजा था चींटा उसे समझा रहा था, शांत हो जाओ ऐसी कोई बात नहीं है तुम बहुत नन्ही सी हो इसलिए तुम्हारा ख्याल उन्हें नहीं आया होगा, चींटी बोली नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है” लगता है भालू चाचा को खुद पर घमंड हो गया है वह अपने आप को समझते क्या है.

अरे मैं तो हाथी को भी मार सकती हूं अगर मैं चाहूं तो दलबल के साथ उसकी सारी मिठाईयां बर्बाद कर सकती हूं, चींटा बोला हमें धेर्य नहीं खोना चाहिए भालू चाचा में अहंकार की भावना नहीं है, तुम बहुत छोटी हो जिद मत करो इसका परिणाम अच्छा नहीं होता परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए.

चींटे के समझाने से चींटी समझ गई चींटे ने  फिर कहा तुम्हें याद होगा जब बंदर मामा बहुत बीमार हो गए थे, और कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा तो भालू चाचा ही थे जिन्होंने नाच नाच कर रुपए इकट्ठा किए थे.

चीटे के समझाने पर चींटी समझ गई शाम को एक मोटी बिल्ली जिम से लौट रही थी, खरगोश उसे देखकर बोला बिल्ली मौसी आपको भालू चाचा ने बुलाया है, क्या भालू चाचा के यहां नहीं चलोगी बिल्ली ने हंसकर कहा नहीं मेरा वजन बहुत बढ़ गया है, मैं बाहर का खाना नहीं खा सकती.

खरगोश बोला चलो फिर तो झूमेंगे गाएंगे मस्ती करेंगे जंगल में पहला रेस्टोरेंट्स जो खुला है, भालू चाचा ने सभी को बुलाया है, बिल्ली म्याऊं-म्याऊं करके हंस पड़ी शाम को सभी जानवर सजधज कर गाते हुए, अपने-अपने घरों से निकल पड़े वे गाते हुए चल रहे थे, चलो बुलावा आया है भालू चाचा ने बुलाया है इसी बीच रास्ते में उन्हें चींटी भी मिल गई,

वह लहंगा पहने खड़ी मुस्कुरा रही थी खरगोश बोला आओ चींटी रानी देर आए दुरुस्त आए, रेस्टोरेंट पहुंचकर सभी ने भालू चाचा के यहां दावत उड़ाई.

 

कोको बंदर और बेर

काफी समय पहले अयोध्या के जंगल में एक शैतान बंदर रहता था, वह हर किसी पर रौब जमाता कमजोरों को डराता धमकाता और जबरन उनसे अपना काम करवाना उसकी आदत थी, जंगल के पशु पक्षी तो क्या वो पेड़ पौधे तक भी, उससे डरने लगे थे हर कोई चुपचाप उसकी बात मान लेता था.

1 दिन की बात है घूमते कलाबाजियां खाते हुए, कोको को एक सुंदर और छोटा सा फल मिला, फल इस जंगल का तो नहीं था शायद कहीं से कोई चिड़िया लाई थी, उसने सूंघ कर देखा तो उससे बड़ी अच्छी खुशबू आई लालच आया तो उसने उसे तुरंत खा भी लिया.

इतने से फल से ना तो उसका पेट भरा और ना मन, उसे मन ही मन बड़ा गुस्सा आया, बड़ी देर तक वह उस गुठली को घूरता रहा मानो उसे भी खा जाएगा, वह सोचने लगा यह गुठली ना होती तो इतना ही फल और बड़ा होता, मैं थोड़ा और खाता मुझे थोड़ा और मजा मिलता अब कुछ और सोचना पड़ेगा.

इस गुठली का ही कुछ करना पड़ेगा धमकाकर इसे भी मजा चखाना पड़ेगा, गुठली ने भी सुना तो बेचारी सचमुच डर गई कोको ने फैसला किया कि मैं इसी से पेड़ उगाकर फल पैदा करवाउंगा, उसने गुठली को पटक कर जमीन में दबा दिया और धमकाकर बोला, अच्छी तरह से सुनले कल सुबह तक उग जाना वरना मिट्टी में मिला दूंगा समझी.

बंदर वहीँ एक पेड़ पर चढ़ गया एक डाल पर लेट कर आराम फरमाते हुए निगरानी करने लगा, गुठली डर के मारे पसीने से भीग गई थी और डर की वजह से उसमें मजबूरन अंकुर निकल आए, कोको ने अगली सुबह जब यह देखा तो बड़ा खुश हुआ अब उसे इसका फल खाने की इच्छा और तेज हो गई थी. Hindi Kahaniyan

इस बार उसने अंकुर को धमकाया अबे अंकुर अगर जल्दी से पत्ते नहीं निकले तो तुझे चुटकी में मसल कर रख दूंगा, अंकुर भी डर गया जल्दी ही उसमें पत्ते निकलने लगे और वह पौधा बन गया अबकी बार बंदर ने पौधे को धमकाया, अबे पौधे जल्दी से पेड़ बन जा वरना तुझे उखाड़कर फेंकते मुझे देर नहीं लगेगी.

उसकी बात सुनकर नन्ही सी जान पौधा भी कांप उठा डर के मारे वह जल्दी जल्दी बढ़ने लगा और पेड़ बन गया, बंदर अपनी चालाकी और रौब से बड़ा खुश था उसने पेड़ को भी धमका दिया सुन बे पेड़ अगर जल्दी से तुझमें फल नहीं लगे, तो तुझे काट कर फेंकने में मुझे देर नहीं लगेगी.

पेड़ बेचारा आखिर क्या करता उसने पूरी ताकत लगाकर फल भी पैदा कर दिए तेज हवा चली तो नीचे गिरकर, पके हुए फलों से जमीन पट गई, उनकी खुशबू से बंदर बहुत खुश हुआ वह कचरकचर फलों को खाने लगा, उसने खूब खाया जी भर कर खाया छककर खाया इतना खाया कि उसका पेट फूल गया.

सांस लेने में भी उसे दिक्कत होने लगी कोको बंदर बेचारा अब करें तो क्या करें? उसे आराम की शख्त जरूरत थी जमीन पर बाघ का खतरा था, उसने पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की तो धड़ाम से नीचे गिर पड़ा, हाय! मैं मर गया पेड़ ने देखा तो उसकी दुर्दशा पर हंस पड़ा, और उसे चिढ़ाते हुए बोला मैं आपकी और क्या सेवा कर सकता हूं वानर राज?

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बंदर यह सुनकर खिसिया गया था, फिर भी वह चिर परिचित घुड़की देते हुए बोला अगर तुमने तुरंत अपनी डाल झुकाकर मेरे आराम का इंतजाम नहीं किया तो, समझ लेना कि घुड़की पूरी करने से पहले ही उसके पेट में मरोड़ उठी और वह दर्द से कराह उठा, पेड़ व्यंग पूर्वक बोला अभी लीजिए महाराज पेड़ ने अपनी डाल झुका दी.

बंदर तेजी से उछलकर डाल पर चढ गया लेकिन डाल के ऊपर उठते ही बंदर जोरों से चीख पड़ा हाय! मैं मर गया, वह जितनी तेजी से उछलकर डाल पर चढ़ा था उतनी ही तेजी से जमीन पर भी आ गिरा, उसके शरीर पर पेड़ के तमाम नुकीले कांटे चुभ गए थे, बंदर के घाव से खून बहने लगा वह वहीं पड़ा पड़ा दर्द से छटपटाने लगा और बाघ से अपनी जान की खैर मनाने लगा.

लेकिन अब वहां पर उस दुष्ट कोको की मदद करने वाला कोई नहीं था सारा जंगल उसकी दुर्दशा पर हँस रहा था, नुकीले कांटे वाले मीठे बेर के पेड़ ने उसे जीवन भर का सबक दे दिया था.


ताकत वाला इंजेक्शन

ब्राउनी बिल्ली अंकित के घर में रहती थी वह बहुत शरारती थी, वह दिनभर उधम मचाती रहती एक दिन अंकित की तबीयत बहुत खराब हो गई, डॉक्टर ने अंकित की जांच की और कहा अंकित को काफी कमजोरी आ गई है, मैं इसे ताकत का एक इंजेक्शन लगा रहा हूं, और यह कुछ इंजेक्शन है इसे रोज एक लगवा दीजिएगा चार-पांच दिन में यह बिल्कुल ठीक हो जाएगा,

डॉक्टर ने कुछ इंजेक्शन तथा दवा अंकित के बेड के पास टेबल पर रख दिए पर्दे के पीछे छिपी ब्राउनी सबकुछ सुन रही थी,  उसने सोचा कि अगर एक इंजेक्शन से अंकित को ताकत आ सकती है तो, वह इससे बिल्कुल शक्तिमान बन सकती है, थोड़ी देर बाद जब अंकित सो गया तब ब्राउनी बाहर आई उसने मेज पर रखे इंजेक्शन को उठाया लेकिन, सुई लंबी देखकर उसकी हालत खराब हो गई,

वह इंजेक्शन वापस रखने जा रही थी, तभी उसे टीवी पर देखी एक फिल्म का डायलॉग याद आया कोई भी बड़ा काम करने के लिए थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है, ब्राउनी ने डॉक्टर की तरह इंजेक्शन में दवा भरी और उसकी पिचकारी को दबाकर थोड़ी दवा बाहर निकाली, फिर बड़े स्टाइल से इंजेक्शन को अपनी बांहों में घुसा लिया.

ओह! मम्मी बहुत दर्द हो रहा है ब्राउनी की चीख निकल गई, मगर वह हिम्मत नहीं हारी धीरे-धीरे उसने पूरी दवा अपनी बांह में उतार दी, दर्द के कारण ब्राउनी की आंखों में आंसू आ गए थे, किंतु उसे दर्द की  परवाह नहीं थी किसी पहलवान की तरह उसने अपनी बांहों को फुलाया, और उन्हें थपथपाते हुए बोली अब मुझ में शक्ति समा गया है,

कोई माई का लाल मेरा मुकाबला नहीं कर सकता अकड़ते हुई ब्राउनी अपने कमरे से बाहर निकली, बरामदे में चिंटू चूहा टहल रहा था, इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता ब्राउनी ने उसे झपट कर दबोच लिया, मौसी मुझे मत खाओ चिंटू गीडगीडाया, मौसी नहीं आंटी बोल ब्राउनी ने चिंटू के सर पर चपत लगाई चपत बहुत जोरदार थी, जिससे चिंटू को दिन में ही तारे नज़र आ गए वह किसी तरह खुद को संभालते हुए बोला”

आंटी इतनी जोर से मत मारो बहुत दर्द होता है, यह सुनते ही ब्राउनी को विश्वास हो गया कि उसके अंदर बहुत ताकत आ गई है, खुश होकर वह ठहाके लगाने लगी उसे इस तरह हंसते देख चिंटू घबरा गया और हाथ जोड़ते हुए बोला”

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आंटी प्लीज मुझे मत खाओ, डर मत आज मैं तुझे खाऊंगी नहीं, बल्कि खिलाऊंगी ब्राउनी मुस्कुराई” क्या खिलायेंगी चिंटू ने डरते हुए पूंछा” हवा ब्राउनी ने चिंटू की पूँछ पकड़कर तेजी से घुमाया फिर उसे हवा में उछाल दिया.

हवा में उड़ता हुआ चिंटू दूर जा गिरा उसके शरीर की एकएक हड्डी बज गई थी, लेकिन वह किसी तरह गिरता-पड़ता वहां से भाग गया, उसकी हालत देखकर ब्राउनी काफी देर तक हंसती रही, फिर अकड़ते हुए आगे बढ़ी बगीचे में एक पेड़ के नीचे गिन्नी गिलहरी खेल रही थी ब्राउनी ने झपट कर उसे दबोच लिया.

आंटी, आंटी में गिलहरी हूं चूहा नहीं गिन्नी गीडगीडाते हुए बोली, जानती हूं मेरी आंखें खराब नहीं हुई है ब्राउनी हंसते हुए बोली’’ तो फिर आपने मुझे क्यूँ पकड़ा है? गिन्नी ने पूंछा’’ में तुम्हारी मदद करना चाहती हूं ब्राउनी बोली, कैसी मदद गिन्नी ने कहा, तुम्हे पेड़ पर चढ़ने में काफी दिक्कत होती है इसलिए मैं तुम्हें पेड़ पर सीधे भेज दूंगी,

ब्राउनी हंसते हुए बोली’’ गिन्नी कुछ समझ पाती इससे पहले ही ब्राउनी ने उसकी पूंछ पकड़ी और हवा में घुमा कर, उसे पेड़ के ऊपर उछाल दिया, गिन्नी के मुंह से चीख निकल गई, यदि वह एक डाल को पकड़कर लटकी ना होती तो नीचे गिरकर उसकी हड्डी पसली एक हो जाती.

गिन्नी की हालत देखकर ब्राउनी काफी देर तक ठहाके लगाती रही, फिर आगे बढ़ी उसे विश्वास हो गया था कि इंजेक्शन लगाने से उसके अंदर बहुत ताकत आ गई है अब उसे कोई नहीं हरा सकता.

सामने ही अंकित की साइकिल खड़ी थी ब्राउनी ने लात मारकर उसे गिरा दिया, कंकड़ से निशाना साध कर बल्ब फोड़े फिर दिश टीवी की छत्री को पकड़कर हिला दिया, अरे ब्राउनी आज तुझे क्या हो गया है, इतना हुडदंग क्यों मचा रही है, टाइगर ने पूछा वह काफी देर से ब्राउनी की शरारत देख रहा था.

अरे कुत्ते चुप रह मेरे काम में टांग मत अड़ा ब्राउनी ने उसे ज़ोर से डपटा, तूने मुझे कुत्ता कहा टाइगर गुस्से से बोला, कुत्ते को कुत्ता नहीं तो क्या हाथी कहूँ ब्राउनी ठहाका लगाकर बोली, इस घर में मुफ्त की खा खा कर तुझे बहुत चर्बी चढ़ गई है, आज मैं तेरी अकल ठिकाने लगाती हूं.

इतना कहकर ब्राउनी ने उछलकर टाइगर के सर पर एक चपत जड़ दी, उसे पूरा विश्वास था कि ताकत का इंजेक्शन लगाने के बाद कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता, अरे! ब्राउनी ऐसे मत मार दर्द होता है,  टाइगर ने उसे समझाया अच्छा ऐसे नहीं ऐसे मारती हूँ ब्राउनी ने मुट्ठी बंद कर,टाइगर के मुंह पर एक, घूंसा जड़ दिया.

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तू तो जबरदस्ती मारपीट पर उतारू है, पागल हो गई है क्या? टाइगर उठकर खडा हो गया, मैं पागल नहीं हुई हूं बल्कि मुझे अक्ल आ गई है, तुम कुत्तों ने हम बिल्लियों को बहुत तंग किया है आज मैं तुम सबसे हिसाब बराबर करुंगी, कहते हुए ब्राउनी ने टाइगर के गाल पर झापड़ जड़ दिया.

ब्राउनी टाइगर के साथ रोज खेलती कूदती थी इसलिए वह अभी तक शांत था, लेकिन झापड़ पड़ते ही उसका गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा, उसने झपटकर ब्राउनी को दबोच लिया और दूर फेंकते हुए बोला” इस बार तो तुझे माफ कर दिया लेकिन दोबारा मेरे करीब आई तो अच्छा नहीं होगा.

टाइगर ने उसे बहुत जोर से फेंका था ब्राउनी की हड्डियाँ चरमरा गईं, उसने गुस्से में टाइगर की ओर देखा, लेकिन टाइगर की गुस्से में लाल आंखों को देखकर उसकी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई, ठीक है बच्चू अभी ताकत के 2 इंजेक्शन और लगा कर आती हूं, और फिर तुझे बताती हूँ.

ब्राउनी बडबडाते हुए उठी और अंकित के कमरे की ओर चल दी, उधर अंकित के पापा डॉक्टर को छोड़कर वापस आए तो उन्हें टेबल पर एक इंजेक्शन कम दिखा, उन्होंने इधर-उधर देखा इंजेक्शन नहीं दिखा तो वे अंकित की मम्मी से पूंछने दूसरे कमरे में चले गए.

इस बीच ब्राउनी वहां पहुंच गई उसने दांत पीसते खुद को एक इंजेक्शन और लगा लिया, वह दूसरा इंजेक्शन लगा ही रही थी कि अंकित के पापा वहां आ गए अरे तू इंजेक्शन लगा रही है, कहीं कुछ हो ना जाए तुझे, पापा चोंकते हुए बोले” कुछ नहीं होगा मुझे ब्राउनी ने मुस्कुराते हुए इंजेक्शन को दूर फेंका और अकड़ते हुए वहां से चल दी.

अभी वह मुश्किल से दरवाजे तक ही पहुंची थी, कि उसका सिर चकराने लगा उसने खुद को संभालने की बहुत कोशिश की, लेकिन संभाल न सकी और चक्कर खाकर गिर पड़ी, जिस बात का मुझे डर था वही हुआ पापा दौड़कर ब्राउनी के पास आए और उसे गोद में उठाया,

फिर उसकी नाक के पास उंगली रखकर देखा उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी, इसने दवा का ओवरडोज ले लिया है इसलिए इसकी हालत खराब हो गई है, इसे बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी, डॉक्टर ने ब्राउनी की जांच करने के बाद “कहा”

और फिर उसका इलाज शुरू कर दिया, 4 घंटे बाद ब्राउनी को होश आया उसने देखा घर के बजाय वह अस्पताल के बेड पर पड़ी थी, और उसको ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई जा रही है.

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उसने उठने की कोशिश की लेकिन कमजोरी के कारण वह उठ ना सकी, ब्राउनी को होश में आता देख पापा करीब आए और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले” 1 दिन में 100  रोटी खाने से कोई इंसान पहलवान नहीं बन सकता, उलटे बदहजमी  होने से उसकी हालत खराब हो जाएगी.

इसी तरह एक दिन में कई इंजेक्शन लगा लेने से बिल्ली हाथी नहीं बन सकती, इसे ये भी तो बताइए की इंसानों और जानवरों की दवा अलग-अलग होती है, एक दूसरे की दवा का इस्तेमाल करने से फायदे की वजाय नुकसान हो सकता है.

डॉक्टर साहब ने वहां आते हुए कहा” डॉक्टर साहब मेरी ब्राउनी बहुत समझदार है, यह बात तो वह बिना बताए ही समझ गई होगी पापा ने ब्राउनी के सर पर हाथ फेरा तो ब्राउनी की आंखें छलक आईं, उसे अपनी गलती समझ में आ गई थी और वह शरारत ना करने का निश्चय कर चुकी थी.

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