Hindi Ghost Story
एक गरीब परिवार अपना गाँव छोड़कर शहर मैं रोजगार और अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए शहर मैं आया था, रोजगार और बच्चों की पढ़ाई अच्छी चल रही थी अभी वह परिवार किराये पर रह रहा था.
काफी समय बीतने के बाद उस परिवार ने घर लेने का फैसला किया, कुछ उनका अपनी मेहनत से कमाया हुआ और कुछ गाँव की जमीन थी.
जमीन को बेचकर इतना रुपया इकठा हो गया था कि रामपाल सिंह ने अपना खुद का घर बना लिया था, पूजा-पाठ करने के बाद रामपाल सिंह ने नए घर मैं प्रवेश किया.
घर मैं रामपाल परिवार के साथ खुसी -खुसी रहने लगे सब कुछ अच्छा चल रहा था, एक दिन सभी घर पर थे तभी रामपाल के बच्चों ने देखा कि फर्श पर कुछ दिख रहा है, बच्चे डर गए और डर से चीखने-चिल्लाने लगे बच्चों की चीख सुनकर बच्चों के माता पिता कमरे से बाहर आ गए.
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तब तक फर्श मैं कुछ डरावने चहरे दिखने लगे थे ये सब देखकर पूरा परिवार डर गया फर्श मैं डरावने चहरे उभरता देख रामपाल अपने परिवार को लेकर घर से बहर निकल गये.
रामपाल ने आस – पास रह रहे लोगों को सारी बात बताई पड़ोसियों में से एक बुजुर्ग बोला अपने घर में प्रवेश करने से पहले पूजा-पाठ हवन आदि कराया था या नहीं, रामपाल ने कहा जी हाँ पूजा पाठ तो हमने कराया था.
तब उस बुजुर्ग ने रामपाल को सलाह दी कि आप एक बार फिर से अपने घर मैं पूजा करवा लो हो सकता है कि पहले की गई पूजा मैं शायद कोई कमी रह गई हो जिसकी वजह से ये सब हो रहा है.
रामपाल ने बुजुर्ग कि बात मानकर एक बार फिर से अपने घर मैं हवन-यज्ञ आदि करवाकर रहने लगे पूजा होने के बाद सब कुछ शांत हो गया.
रामपाल को लगा कि बुजुर्ग ने ठीक कहा था पहली पूजा मैं शायद कुछ कमी रह गई थी, जिसके कारण ये सब हो रहा था अब सब कुछ ठीक हो गया है.
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अब सभी निश्चिंत होकर रहने लगे कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन एक रात दोनों बच्चे अपने -अपने कमरे मैं सोए हुए थे.
रामपाल और उनकी पत्नी अभी तक जाग रहे थे तभी अचानक उनकी नजर फर्श मैं हो रही हलचल पर पड़ी उन दोनों ने देखा कि फर्श मैं फिर से कुछ आकृतियाँ उभरती आ रहीं हैं, ध्यान से देखा तो दोनों पति-पत्नी को पहले की तरह फर्श में डरावने चहरे दिखाई दे रहे थे.
चहरे इतने डरावने और बड़े होते जा रहे थे कि कोई भी उन्हें देखकर डर के मारे बेहोश हो जाये, देखते ही देखते वह चेहरे खौफनाक हंसी हँसते हुए फर्श से बाहर आने लगे, उनका आकार बहुत बड़ा था, उनकी लाल लाल ऑंखें बिखरे बाल और बड़े बड़े नाख़ून थे जिनको देखकर रामपाल और उनकी पत्नी का डर के मारे बुरा हाल हो गया.
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वह दोनों बच्चों को जल्दी जल्दी हडबडाहट में जगाते हुए चीखते चिल्लाते हुए घर से बाहर निकल गये, लेकिन वो डरावने चहरे उनका घर के बाहर भी पीछा करने लगे, वो चारों भागते भागते एक मंदिर के पास जाकर रुके रामपाल ने सोचा शायद मंदिर में ये डरावने चहरे प्रवेश नहीं करेंगे, सोचकर रामपाल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मंदिर के अंदर चले गये.
रातभर रामपाल उनकी पत्नी और बच्चे मंदिर में ही रहे, लेकिन वह रात भर डर के मारे सो नहीं पाए, उनके दिमाग में उन्हीं डरावने चेहेरों का खौफ था.
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जैसे तैसे वह भयानक रात गुजर गई और सुबह हुई सुबह मंदिर के पंडित जी जब मंदिर में आये तो उन्होंने रामपाल से पूंछा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं और इतने डरे हुए क्यूँ हैं, क्या बात है?
रामपाल ने रात की सारी घटना पंडितजी को बताई, पंडीजी ने कहा तुम चिंता मत करो में अपने गुरूजी को अभी बुला कर लता हूँ तब तक तुम यहीं रहना, जब गुरूजी आ जाएँ तब ही मंदिर से बाहर निकलना.
रामपाल ने कहा ठीक है पंडीजी जैसा आप कह रहे हैं में वैसा ही करूँगा,
थोड़ी देर बाद पंडितजी अपने गुरूजी को लेकर आ गए, पंडितजी ने गुरूजी को सारी बात पहले ही बता दी थी इसलिए गुरूजी ने रामपाल से कुछ नहीं पूंछा, बस उस घर में चलने की बात कही अब सब लोग उस घर के बाहर आकर खड़े हो गये.
गुरूजी घर के अन्दर गये और 4 लोगों से फर्श को खुदवाया जैसे ही फर्श 3-4 फूट खुद गया, गुरूजी बाहर रामपाल के पास भागकर गए और कहा तुम यहाँ कबसे रह रहे हो रामपाल ने कहा, करीब 9-10 महीने ही हुए होंगे क्यूँ गुरूजी आप ऐसा क्यूँ पूंछ रहे हैं.
तब गुरूजी ने बताया की जहाँ तुम्हारा घर बना है उसके निचे कभी कब्रिस्तान थे, तभी वह डरावनी शक्लें आपको दिख रहीं हैं.
इसपर रामपाल ने कहा तो अब हम क्या करें गुरूजी तब गुरूजी ने कहा यह तो उन प्रेतों से पूंछने पर ही पता चलेगा की वो क्या चाहते हैं.
गुरूजी ने काफी सिद्धियाँ प्राप्त की हुई थीं इसलिए उन्हें भूत-प्रेतों से बात करना भी अच्छे से आता था और उन्हें सबक सिखाना भी, अब क्या था गुरूजी ने रामपाल और उनके परिवार से कह दिया की इतने सबकुछ ठीक ना हो जाये आपको मंदिर में रहना होगा, क्यूंकि अगर आप लोग घर में गए तो आप इस बार उन भूतों का निवाला बन सकते हैं.
रामपाल ने कहा ठीक है गुरूजी दुसरे दिन गुरूजी उस घर में गए और अपनी सिद्धियों की शक्तियों से उन भूतों को बुलाया और उनसे पूंछा क्या चाहते हो तुम लोग उस भले परिवार को क्यूँ परेसान कर रखा है उन लोगों ने बड़ी मेहनत से एक एक पैसा जोड़कर ये घर बनाया है, गुरूजी के इतना कहते ही उनमें से एक पुरुष भूत गुस्से से बोला हमारे घर में वो लोग हैं हम उनके घर में नहीं हैं समझे.
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अब तुम भी यहाँ से चले जाओ वरना तुम्हारा क्या हाल होगा ये तुम सोच भी नहीं सकते, उस भूत के इतना कहते ही गुरूजी वहाँ से चले गये और मंदिर में जहाँ रामपाल थे वहाँ पहुँच गये,
गुरूजी ने रामपाल से कहा आप उस घर को छोड़ दो किसी और घर में रह लो, रामपाल ने गुरूजी को बिच में टोकते हुए कहा आप ऐसा क्यूँ कह रहे हैं गुरूजी हम कहा जायेंगे बड़ी मुश्किल से हमने वह घर बनाया है, ऐसे कैसे छोड़ दें.
गुरूजी ने कहा बात आपकी भी ठीक है और बात उन भूतों की भी गलत नहीं वहां कब्रिस्तान है यानि प्रेतों का घर अब कोई आपको आपके ही घर से निकालेगा तो आपको कैसा लगेगा, इतना सुनकर रामपाल निराश होकर अपने गाँव चले गये.
अब वह घर खंडहर बन चूका है डरावनी आवाजें और खौफनाक हसीं से रात के सन्नाटे में भी शोर रहता है.
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